NearBook: प्रयुक्त पुस्तकों के बाज़ार में क्रांति
कैसे राजस्थान के 20 वर्षीय संजय मोदी ने शार्क टैंक इंडिया पर ₹40 लाख की डील हासिल की
परिचय: एक युवा की बड़ी सोच
शार्क टैंक इंडिया सीजन 4 के मंच पर, जहाँ निवेशक हर विचार को गहराई से परखते हैं, राजस्थान के एक 20 वर्षीय उद्यमी संजय मोदी ने NearBook नामक ऐप प्रस्तुत किया। यह ऐप पुराने किताबों के खरीदार और विक्रेता को सीधे जोड़कर शिक्षा को सुलभ बनाने का लक्ष्य रखता है।
NearBook की शुरुआत
संजय की बहन को ₹1600 की एक किताब चाहिए थी, जिसे उनका परिवार वहन नहीं कर सका। पुराने किताबों के बाज़ार में भी सही किताब ढूँढना मुश्किल और महँगा साबित हुआ। इसी अनुभव ने उन्हें NearBook बनाने की प्रेरणा दी, ताकि कोई भी छात्र पैसों की कमी के कारण किताब से वंचित न रहे।
NearBook की खासियतें
तेज़ और आसान लिस्टिंग
केवल 10 सेकंड में किताब की तस्वीर अपलोड कर विक्रेता अपनी किताब बेचने के लिए लिस्ट कर सकता है। AI तकनीक किताब का नाम और विवरण स्वतः पहचान लेती है।
नज़दीकी किताबें खोजें
ऐप आपकी लोकेशन के आधार पर आस-पास उपलब्ध किताबें दिखाता है, जिससे शिपिंग चार्ज और समय दोनों की बचत होती है।
दान और किराए पर किताबें
यूज़र्स किताबें दान कर सकते हैं, किराए पर ले सकते हैं या बिना पैसे दिए किताबों का आदान-प्रदान कर सकते हैं।
शार्क टैंक इंडिया का अनुभव
संजय की पिच ने निवेशकों को प्रभावित किया। शुरुआती संदेहों के बावजूद, अनुपम मित्तल ने उन्हें ₹40 लाख के निवेश के लिए 20% इक्विटी की डील ऑफर की, जो संजय की उम्मीदों के अनुसार थी।
निष्कर्ष
NearBook केवल एक बिज़नेस नहीं बल्कि शिक्षा को सभी के लिए सुलभ बनाने का एक आंदोलन है। यह ऐप न केवल किताबों के पुन: उपयोग को बढ़ावा देता है बल्कि पर्यावरण और समुदाय दोनों को लाभ पहुँचाता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. NearBook किसके लिए उपयोगी है?
यह ऐप छात्रों, पाठकों और बुक प्रेमियों के लिए उपयोगी है जो सस्ते दामों पर किताबें खरीदना या बेचना चाहते हैं।
2. क्या इसमें किताबें दान कर सकते हैं?
हाँ, NearBook में किताबें दान करने का विकल्प उपलब्ध है।
3. क्या यह ऐप पूरे भारत में उपलब्ध है?
NearBook वर्तमान में कई शहरों में सक्रिय है और धीरे-धीरे पूरे भारत में विस्तार कर रहा है।
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